नेपाल, एक छोटा पहाड़ी देश जो आमतौर पर पर्यटकों और हिमालय की वादियों के लिए जाना जाता है, अब दुनिया के नक्शे पर इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति के अग्रदूत के रूप में उभर रहा है। जिस देश में कभी पेट्रोल की कमी एक राष्ट्रीय संकट थी, आज वहाँ 76% से अधिक नई पैसेंजर कारें EV बन चुकी हैं।
पानी से चलती हैं कारें, तेल हुआ बीते ज़माने की बात
नेपाल की यह क्रांति अचानक नहीं आई, बल्कि कई निर्णायक कदमों और रणनीतियों का नतीजा है। 2015 में भारत के साथ सीमा विवाद के चलते जब पेट्रोल की आपूर्ति रुक गई, तब नेपाल ने अपनी हाइड्रोपावर क्षमता पर भरोसा करना शुरू किया।
आज लगभग 90% बिजली जलविद्युत से आती है, जो EVs के लिए न केवल सस्ती, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा भी प्रदान करती है।
सरकार की स्मार्ट नीतियाँ बनीं गेमचेंजर
सरकार ने EV को बढ़ावा देने के लिए आयात कर में बड़ा बदलाव किया। जहाँ फ्यूल वाहनों पर 180% तक टैक्स लगता है, वहीं EVs पर यह केवल 40% तक सीमित है।
2020 में छोटे बैटरी वाले वाहनों के लिए टैक्स को घटाकर सिर्फ 10% कर देना इस बदलाव का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
इसका असर इतना गहरा था कि Hyundai की इलेक्ट्रिक SUV, पेट्रोल वर्जन से सस्ती हो गई। साथ ही, सरकार ने अब तक 60+ चार्जिंग स्टेशन लगाए हैं और निजी कंपनियाँ भी तेजी से EV चार्जर जोड़ रही हैं।
चीन बना EV सप्लाई का भरोसेमंद साथी
नेपाल की EV मांग को पूरा करने में चीन ने सबसे बड़ा रोल निभाया। BYD, Ora, Great Wall Motors जैसे ब्रांड्स ने न केवल सस्ती कीमत पर वाहन उपलब्ध कराए, बल्कि लोकल डीलरशिप और सर्विस सेंटर भी स्थापित किए।
BYD की Atto 3 SUV और इलेक्ट्रिक बसें अब काठमांडू की सड़कों पर आम हैं।
नेपाल में अब सैकड़ों चीनी EV ब्रांड प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं—जिसका फायदा सीधे उपभोक्ताओं को मिल रहा है।
निजी नहीं, अब बारी है सार्वजनिक परिवहन की
हालांकि EV क्रांति निजी वाहनों में स्पष्ट दिख रही है, पर सार्वजनिक परिवहन में बदलाव की रफ्तार धीमी है। वर्तमान में केवल 41 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि काठमांडू घाटी में कम से कम 800 ई-बसों की जरूरत है।
सरकार ने $22 मिलियन की मदद से 100 और ई-बसें मंगाने की योजना बनाई है, लेकिन इसे और तेज़ करने की जरूरत है।
जनता के लिए फायदेमंद सौदा
एक पूर्व पुलिस अधिकारी जीत बहादुर शाही ने इलेक्ट्रिक मिनीबस खरीदकर इसे यात्री सेवा में लगाया।
मात्र 10 राउंड ट्रिप से ही उनका लोन कवर हो जाता है। ऐसे उदाहरण दिखाते हैं कि EV अब सिर्फ अमीरों का शौक नहीं, बल्कि एक समझदारी भरा निवेश भी बन चुका है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
- चार्जिंग नेटवर्क अभी ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर है।
- EV आयात के लिए विदेशी मुद्रा खर्च होती है।
- राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत बदलाव जैसे टैक्स में वृद्धि EV बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
- बैटरी रीसायक्लिंग और वाहन गुणवत्ता पर फिलहाल कोई सख्त नीति नहीं है।
नेपाल बना प्रेरणा का स्रोत
जब बड़े देश केवल EV के भविष्य पर चर्चा कर रहे हैं, नेपाल ने उसे जमीन पर उतार कर दिखा दिया है। भारत, बांग्लादेश जैसे देशों को इससे सीख मिल सकती है कि सही नीति, स्थानीय संसाधन और वैश्विक साझेदारी मिलकर कैसे एक कार्बन-मुक्त भविष्य की नींव रख सकते हैं।
निष्कर्ष:
नेपाल की EV क्रांति दिखाती है कि परिवर्तन केवल संसाधनों से नहीं, इरादे और नीति से आता है। जहाँ दुनिया अब भी EV भविष्य की कल्पना कर रही है, नेपाल उसे जी रहा है। और शायद जल्द ही, काठमांडू की सड़कों पर न केवल सन्नाटा होगा, बल्कि एक नई ऊर्जा की आवाज भी—जो पर्यावरण की चिंता नहीं, समाधान है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया The Newyork Times कि आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ।
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